मंगलवार, 10 जुलाई 2012

TANTRA

तंत्र शास्त्र में पंचमकार // आज तंत्र के छेत्र में दो नाम प्रायः सुनने में आते है // 1.कौल 2.वाम मार्ग  सर्व साधारण में यह धारणा फैलाती चली गई की तन्त्र में मांस मदिरा मैथुन आदि पंचमकार के उपयोंग में लिप्त रह्कर जीवन व्यतीत करना ही तंत्र है // आज के परिपेछ्य में कुछ लोग तंत्र बेत्ता होने का ढोंग रच कर सच्चे  साहित्य के बिपरीत अर्थ करते दिखाई देते है // क्या वैदिक व पौराणिक काल में नर बलि ,पशु बलि व मदिरा सेवन अवास्य्क था // क्या बाम मार्ग ,तंत्र शास्त्र में पंचमकार (मद्द ,मांस , मत्श्य ,मुद्रा व मैथुन ) क्या वास्तविक थे // आईये आज इस विषय पर कुछ चिन्तन मनन करे //  1.मांस ..एक परिभषिक सव्द है // जब उरद के दाल को दही के साथ मिला दिया जाता है तो उसे रूढी अर्थ में मांस या बली अन्न भी कहते है //पिछिली कई पीढियों से हमारा परिवार ज्योतिष .तंत्र व कर्मकाण्ड में अग्रगण्य रहा है और यह मेरा परम सोभाग्य है की मेरा जन्म उस परिवार में हुवा जगत गुरू शंकराचार्य सारे भारत में सास्त्रथ के लिए भ्रमण करते हुवे मंडन मिश्र के दर पर पहुचे जहा तोता भी संस्कृत में बोलता था //पानी भरने वाली नोकरानी भी संस्कृत में बात करती थी // पिछली नव पीढियों से मंडन मिश्र परिवार ब्राह्मणों के कुलगुरु के रूप में प्रतिष्ठित है // हजारो यज्ञ हमारे परिवार द्वारा सम्पन्न कराये गये है एवं कराये जाते रहेंगे / परन्तु मद्द मांस प्रयोग हमने कभी नहीं देखा /यज्ञ की पूर्णाहुति के समय दिक्पाल्बली होती है / उस समय उरद व मसूर की दाल को दही में मिलाकर पीपल के पत्तो पर घृत दीप से यूक्त करके दशो दिशाओ में रखा जाता है // उसे मांस बली कहते है / पिछले हजारो वर्षो से यही क्रम चलता आ रहा है /  साक्त यज्ञ में मधु की आहुति दी जाती है / मधु का अर्थ केवल शहद है .पुष्पों का रस अब यदि कोई मधु का अर्थ मदिरा कर दे / तो यह उसकी बुधि की बलिहरी है //  ,,,,,मद्म मांसं च मुद्रा मैथुनेव च मकार पञ्चकं प्रहुयोगिनामुक्तिदाय्कम ,,// इस पन्च्मकारो का रह्श्य बहुत गुढ़ है / वास्तव में यह अभ्यन्तर अनुष्ठान के प्रतीक है / जो कोई उन्हें भौतिक अर्थ में प्रयोग करता है वह यथार्थ से वहुत ही दूर है /    *मद्य का अर्थ सराब नहीं ब्राम्हरंध में स्थित जो सहस्त्रार है उसमे जो सुधा छरित होती है उसे ही मद्द कहते है / उसी को पीने वाला वयक्ति मदप कहलाता है यह खेचरी मुद्रा के द्वारा सिद्ध होता है / इसीलिए तंत्रों का कथन है ,,वयोम्पंक्ज निश्य्द सुधापंरातोनर .मधुमाई समः // 

1 टिप्पणी:

  1. Sir gives me a valuable solution....please.

    My Name: Dilip Venkatesh Mishra.
    DOB: 22/04/1971, TOB: 08.35 Am, Place: Berhampur, Odisha.
    My Wife: DOB: 17/09/1977, TOB: 09.35 Pm, Place: Jeypore, Odisha.

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