शनिवार, 14 जुलाई 2012

गृह सज्जा बास्तु के आईने में

वास्तु अनुरूप भवन निर्माण के साथ ही वास्तु अनुरूप गृह सज्जा भी हो तो भवन स्वामी एवम वहा के निवाशियों के लिये अधिक शुभ फलदायक हो जाता है / गृह सज्जा के प्रमुख सूत्र - 1*. दीवारों का रंग ऐसा होना चाहिए जो ज्योतिष दृष्टि से अनुकूल हो / 2*. पूजा गृह हमेशा ईशान कोण में बनाये / 3*.रशोई अग्नि कोण में होनी चाहिए / 4*. सयन कच्छ दछिन -पश्चिम में बनाये , बैठक उत्तर - पूर्ब या या उत्तर पश्चिम में ही बनाए / 5*. बच्चो का कमरा उत्तर -पूर्व या दछिन -पूर्व में बनाये / 6*. अन्डरग्रौन्ड पानी का टेंक उत्तर - पूर्ब या उत्तर में ही बनाये / 7*. ओवरहेड पानी की टंकी दछिन पश्चिम में ही रखे / 8*. सीढ़ी घडी की सुइयो की दिशा में बनानी चाहिए / 9*. उत्तर - पूर्व में खली जगह अधिक छोड़े / 10* उत्तर व पुरव में भाडी निर्माण न करे / 11* मेन गेट प्लोट के बीचो बिच नहीं होना चाहिए . तथा उत्तर -पूर्व में बनाये / 12* मकान में पानी का ढलान उत्तर या पूर्व में होना चाहिये / 13* कभी भी अग्नि कोण में पुजा या शौचालय न बनाए / 14* कभी भी अन्डरग्रौंड पानी का टैंक अग्नि कोण में न बनाये / 15* शौचालय कभी भी उतर -पूर्व ईशान में न बनाए / 16* वास्तु शास्त्र में मुख्य द्वार दिशा का निर्णय अतिमहत्वपूर्ण है / गृहस्वामी की राशी के अनुसार कर्क . ब्रिस्चिक एवं मीन राशी वालो को मुख्य द्वार की दिशा पूर्व / वृषभ .तुला . कुम्भ राशी वालो को पश्चिम / मेष . सिंह . धनु की ऊतर तथा मिथुन कन्या .मकर राशी वालो गृह स्वामी को मुख्य द्वार की दिशा दछिन रखना शुभ है / मकान का मुख्य द्वार एक ही होना चाहिए / 17* लग्नेश के रंग का प्रयोग दीवारों पर होने से स्वास्थ्य उत्तम रहता है . तथा रोगी व्यक्ति शिघ्र स्वस्थ्य लाभ प्राप्त करता है / 18* परामर्श कार्य . मानसीक क्रिया प्रदान कार्यो के लिए राशी के अनुकूल रंग का प्रयोग दीवारों पर अवं पर्दों के रंग का चुनाव करना चाहिए / 19* भवन में किसी कड़ी या वीम के निचे बैठना एवं सोना अनुकूल नहीं है /20*  सोते समय सिरहाना सदैब दच्छीण में तथा पैर उतर में रखे / 21* वास्तु के अनुसार घर में तुलसी रोपण एवं द्वार पर कुमकुम से स्वास्तिक चिन्ह भी आवस्यक है / तुलसी का पौधा कृमिनाशक है / यह अपने चारों ओर सौ हाथ तक के वायुमंडल को शुद्ध रखता है / 

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