सोमवार, 9 जुलाई 2012

ASTROLOGY SCINCE

ऋग्वेद में 95000 वर्ष पूर्ब ग्रह नाच्छात्रो की जैसी स्थिति थी उसका उल्लेख है / इसी आधार पर लोक मान्य बालगंगाधर तिलक ने यह तय किया था की वेद इतने हज़ार वर्ष से जयादा पुराने तो निश्चित होने चाहिए / क्योकि वेद में यदि 95000 बर्ष से पहले जैसी ग्रह  नछत्रो की स्थिति थी उसका उल्लेख है .तो यह वात साफ है की ज्योतिष कम से कम 95000 वर्ष से ज्यादा पुराना है / भारतीय ही ज्योतिष शास्त्र के आदि अविस्कारकर्ता है /यहाँ के ऋषियों ने योगाभ्याश द्वारा अपनी सूक्छ्म प्रज्ञा से सरीर के भीतर ही सौर मंडल के दर्शन किये और आकासीय सौर मंडल का अध्यन किया // ज्योतिष गणना के लिए ही सबसे पहले गणित का जन्म हुवा और इसीलिए अंक गणित के जो अंक है वह भारतीय है / सारी दुनिया की भाषाओ में .एक से लेकर नो तक (1 से 9) जो गणना के अंक है वह भारतीय है ./ और सारी दुनिया में 9 डिजिट स्वीकृत हो गये // आर्यभट  0 का आविष्कार कर सारी दुनिया में तहलका मचा दिया /जिससे गणना वहुत आसान हो गया / उसने भारत का नाम विश्व में उचा कर दिया //  वैज्ञानिको का मत है की प्रत्येक पदार्थ की सुच्छम रचना का आधार परमाणु है /अनन्त परमाणु का एकत्र स्वरुप हमारा शरीर है / इस  लिए हमारे ऋषियों ने  यत पिंडे तत ब्रम्हंडे  का सिधान्त बताया // अतः सौर जगत में सूर्य .चन्द्र आदि ग्रह के भ्रमण करने के जो नियम है वे ही नीयम प्राणी मात्र के शरीर में स्थित प्राण कोष को प्रभाबित करते है .जैसे हम साँस खुद नहीं लेते बल्कि स्वंश प्रस्वाश की क्रिया खुद व खुद होती है ,हम खाना खाने के बाद पचाते नहीं वल्कि खुद हमारे शरीर की आन्तरिक क्रियाये अपने आप होती रहती है जो जिने के लिये जरुरी है / क्योकि सूर्य से पृथ्वी का जन्म हुवा .पृथ्वी पर जीवन का जन्म हुआ मनुष्य पृथ्वी का अंग है .पृथ्वी सूरज का अंग है सूर्य से ही मंगल .ब्रहस्पति का जन्म हुआ // अतः सभी ग्रह उपग्रह एक दुसरे के अकर्षित होते है .अतः चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर काटता है पृथ्वी सूर्य का मंगल बुध .गुरू .शुक्र और शनि ये पांचो ग्रह भी सूर्य के चारो ऑर भ्रमण करते रहते है / इस कारण इनकी पृथ्वी से दुरी बढ़ती  घटती रहती है .जिसका प्रभाव पृथ्वी पर रहने वाले जीब जन्तुवो पर परता है .ऋतुवे बदलती है //

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें