सोमवार, 16 जुलाई 2012

दुकानों के लिए वास्तु निर्देश ।।

प्रायः देखने में आया है की एक ही बाज़ार में एक ही प्रकार के व्यापार करने बाले कई दुकानों में से कुछ दुकाने अछी चलती है , इसके बिपरीत कुछ दुकाने ना के बराबर चलती है , इसका मुख्य कारण दुकानों का वास्तु अनुरूप ना होना भी हो सकता है अतः   निचे कुछ महत्वपूर्ण वास्तु निर्देश दिये जा रहे है / जिसका पालन करने से निश्चय ही लाभ होगा , 1* यदि दुकान का स्वामी पूर्ब दिशा की ओर मुह करके बैठता हो तो तिजोरी ( धनकोष ) उसके दायी ओर होनी चाहिये / 2* दुकान मालिक यदि उत्तर की ओर मुह करके बैठता है तो तिजोरी उसके बाई ओर होनी चाहिए / 3* भण्डार के लिए दस्छिन -पश्चिम दीवारों के साथ सामान रखे या स्टोर बनाए / 4* दुकान का उत्तर -पूर्ब भाग दोषपूर्ण हो अर्थात गंदगी , टूट फुट हो तो तो दुकान मालिक को सन्तान पछ से कष्ट रहता है / 5* बिजली के उपकरण , स्विच , बिधुत यंत्र दच्छिन , दछिन -पूर्व कोण में लगाने चाहिए / 6* बिजली से तैयार माल को उतर -पश्चिम कोने में रखना चाहिए / इससे सामान की बिक्री में ब्रिधी होगी / 7* सामान्यतः पूर्व एवं उत्तर मुखी दुकाने शुभ मानी गई है / पश्चिम एवं दच्छिनमुखी दुकाने भोजन एवं मनोरंजन कार्यो के लिए अच्छी मानी गई है / 8* दुकान या छोटे कार्यालय में जल स्थान , पानी का बर्तन एयरकंडीशनर उत्तर पुर्व में होना चाहिए / 9* बड़ी दुकानों में उत्तरपूर्व में शौचालय न बनाए / 10* दुकान के सामने बिजली , टेलीफोन का खम्भा पेड़ आदि होना अशुभ है / 11* तिजोरी अल्माड़ी उत्तर या पुर्व दिशा की ओर खुलनी चाहिए अतः इन्हें दस्छिन या पश्चिम में रखना चाहिए / 12* उत्तर पूर्व दिवार पर दर्पण होना शुभ है / 13* नजर उतारने का टोटका ; दुकान या प्रतिष्ठान को नजर से बचाने के लिए प्रत्येक शनिवार को एक नीबू एवं सात हरी मिर्च दुकान के बाहरी गेट में ऐसी लगानी चाहिए जहा पर सभी की दृष्टि उस पर पड़े परन्तु उससे कोई टकराये ना / 14* अपनी दुकान या प्रतिष्ठान में अपने इष्ट देवता की स्थापना करनी चाहिए / 15* दुकान या प्रतिष्टान में अपने प्रेरक का चित्र / फोटो अबश्य लगाना चाहिए / #पंडित_पंकज_मिश्र #ज्योतिष_कोलकाता।।

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