शनिवार, 30 जनवरी 2016

धर्म और राजनीत

धर्म और राजनीत।  धर्म का मुद्दा बहुत ही वक्तिगत और आस्था से जुड़ा होता है। राजनेता अपने भोट बैंक के लिए अंग्रेजो के ज़माने से चलें आ रहे डिवाइड एंड रुल का नियम अपना कर जनता को आपस में लड़ा कर उसके लास पर राजनितिक रोटिया बोटिया सेक कर खाते है। धर्म पर निर्लज्ज मिडिया भी अपनी trp  बढ़ने के होर में ,एक दूसरे धर्मो के लोगो के बीच घृणा बैमनस्य पैदा कर रहे है। सभी धर्मो के अपने रीत रिवाज कस्टम है धर्म गुरु है। कैसे पूजा करना है ये निर्णय नेता या मिडिया को नहीं ,धर्म गुरु को करना है। 

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