रविवार, 20 अप्रैल 2014

केजरीवाल

बेचारा केजरी ,न घर का रहा न घाट का। बहुत पुराना कहावत है की गीदड़ का जब मौत आता है तो वह सहर के तरफ भागता है , बेचारा काशी में नरेंद्र भाई मोदी से टक्कर लेने चला हा हा हा हा। … थप्पड़  घुशा स्याही जूता खाने के बाद भी अक्ल ठिकाने नहीं आया , कहते है ठोकर खाने से अक्ल आता है। एक तो काशी में ही इसका क्रिया कर्म हो जायेगा ,और वहाँ से लुटापिटा जब अपना पुराना गढ़ दिल्ली वापस आयगा तो किरण बेदी दिल्ली में अंतिम संस्कार कर देगी। ये हरेक बात में बोलता है बीजेपी बाले को राजनीती नहीं आती इन्हे हम राजनीती करना सिखाये गे। केजरीजी आपने दिल्ली की राजनीती की शीला को हराने के बाद तो आप अपने को युगपुरुष सत्यवादी राजा हरिस्चन्द्र के एकलौते बारिश मान बैठे सब चोर बेईमान सिर्फ आप ईमानदार हा हा ,राजनीती क्या चीज है ये अब समझ में आये गा। चंद मुसलमानों ,देश द्रोहियो के भोट से आप नरेन्द्र मोदी से टक्कर नहीं ले सकते। अभी भी वक़्त है नमो नमो का जाप करो और कोई रास्ता नहीं है ,और आपके कुमार बकबास   मॉडल घोंचू पत्रकार सब नमो आँधी में कहाँ उरके जायेगे भोट के बाद पता भी नहीं मिलेगा। 

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