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अम्बुबाची पर्व कामाख्या का मुख्य पर्व है। यह पर्व हर साल जून महीने में लगता है जब सूर्य असाढ़ अष्टमी आद्रा नछत्र में प्रबेश करते है और रोहिणी तक सूर्य का भ्र्मण अम्बुबाची योग कहलाता है। इस समय माँ रजस्वला होती है। ५१ सक्ति पीठों में कामाख्या सक्तीपीठ जहां माँ सती का योनि अंग गिरा जिसका नाम परा कामाख्या शक्तिपीठ , जो की असम नीलांचल पर्वत पर माँ कामाख्या का मंदिर है , इस नीलांचल पहाड़ पर दशो महा बिद्या का मंदिर है ,देश बिदेश से सालो भर यहाँ भक्तो का मेला लगा रहता है ,तांत्रिको का ये स्वर्ग है। ज्यादा तर साधक यहाँ साधना सिद्धि के लिए आते है। नबरात्र में बिशेष साधक तांत्रिक सिद्धि के लिए आते है। माँ के गर्भ गृह में योनि कुंड है ,योनि कुंड से अमृत तुल्य पानी पाताल से प्रबहित होता है ,भक्त योनि कुंड में माँ का पानी पीते है जिससे बीमारी कष्टों से मुक्ति मिलती है। ये जगह रहस्यों से भरा है , एक बार अवस्य जाये। जय माँ कामाख्या। .. कामाख्ये बर दे देवी नील पर्वत वासिनी तव्म देवी जगन्नाथ योनि मुद्रे नस्तुते। .. जय माँ कामाख्या। पण्डित पंकज मिश्र कोलकाता /
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pandit pankaj mishra kolkata |

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