#कालसर्प_योग के शान्ति का सबसे अच्छा उपाय।।पंडित पंकज मिश्र ज्योतिष कोलकाता।। कालसर्प_ प्राणप्रतिष्ठा युक्त यंत्र पूजा करे पाठ करे श्राद्ध भक्ति के साथ।। पंकज मिश्र।
ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्
पीपल या बरगद के पेड़ को प्रतिदिन पानी दें ।
आप इसके लिए राहु एवं केतु की पूजा करें ।राहु एवं केतु के मंत्रों का जाप करें।
कालसर्प दोष निवारण मंत्र का जाप करें |
आप इसके लिए राहु एवं केतु की पूजा करें। राहु एवं केतु के मंत्रों का जाप करें।
राहु के मंत्र– ।।ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।।
केतु के मंत्र – ।। ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रों सः केतवे नमः।।
भगवान शिव की पूजा अर्चना करें। सरसों का दीपक जलाकर “ओम नमः शिवाय“ मंत्र का 21000 बार जप करें।
भगवान श्री कृष्ण का पूजन करें और प्रतिदिन “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जप करें।
महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
कालसर्प दोष निवारण मंत्र का जाप करें |
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। नान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
नमनाग स्त्रोत्र का पाठ करें।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत इति श्री नवनागस्त्रोत्रं सम्पूर्णं ll
॥ नाग गायत्री मंत्र ॥
ll ॐ नव कुलाय विध्महे विषदन्ताय धी माहि तन्नो सर्प प्रचोदयात ll
लंबे समय से कुंडली में कालसर्प दोष के नाम से आमजन परेशान होता रहा है ।
ये किसी को पता ही नहीं हैं कि एक सामान्य टोटके से इस दोष से मुक्ति पाई जा सकती हैं। असल में जब कुंडली में राहु व केतु के बीच शेष सात ग्रह आ जााते हैं तब कुंडली में कालसर्प दोष बनता है।।
कालसर्प योग मुख्य 12 प्रकार के होते हैं और इसका प्रभाव भी 12 तरह का होता है जो जन्मकुंडली से पता चलता है की कौन सी तरह की है।
एेसे में अमावस तिथि को वे लोग जिनको रोजगार नहीं मिल रहा हैं, वे जिनका व्यापार नहीं चलता हो, विवाह में समस्या हो या अन्य समस्या हो वे ये #टोटका करें। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए अमावस के दिन किए गए विशेष उपाय व टोटके बड़ा लाभ देते हैं। इसके लिए अमावस की दोपहर को पीपल के वृक्ष पर जल, दुध व शक्कर मिलाकर कालसर्प दोष से मुक्ति व शांति की प्रार्थना के साथ श्री सर्प सूक्त का जप 21 बार करें। इसके पूर्व सर्प गायत्री का जप 108 बार करें। सर्प गायत्री के जप के बाद ही 21 बार श्री सर्प सूक्त का पाठ करें।
ये है सर्प गायत्री
ऊं नवकुलाय विद्यमहे, विषदंताय धीमहि तन्न: सर्प प्रचोदयात:।
ये है श्री सर्प सूक्त का पाठ
ब्रह्मलोकेषु ये सर्पा शेषनाग परोगमा: नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखाद्य: नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।
कद्रवेयश्च ये सर्पा मातृभक्ति परायणा। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखाद्य। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा वासुकिना च रक्षिता। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखाद्य। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।
पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।
ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पप्रचरन्ति। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।
समुद्रतीरे ये सर्पाये सर्पा जंलवासिन: नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।
रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।#पंडित #पंकज_मिश्र_ज्योतिष_कोलकाता_कालीघाट।। #पारद_शिवलिंग की पूजा करे घर में स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठित किया गया।।
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