शनिवार, 8 अक्तूबर 2022

शरद पूर्णिमा।।

#शरद_पूर्णिमा ।।
आश्विन माह के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को शरद  पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत की बरसात करता है। इसलिए इस रात में खीर को खुले आसमान में रखा जाता है और सुबह उसे प्रसाद मानकर खाया जाता है। दिलचस्प बात है कि #शरद_पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे पास होता है।  इस रात को #कोजागरए भी कहते हैं , खुले आसमान तले रात भर जागकर  लक्ष्मी जी के अवतरण के रात देवताओं ने मां लक्ष्मी का आगमन के समय संख बजा कर श्री शुक्त के मंत्रो से मा लक्ष्मी का स्वागत किया। श्री सूक्त का पाठ करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और #ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी  लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम उपाय है  । अगर आप गरीबी आर्थिक समस्या से निपटने के लिए नित्य #श्रीयंत्र जो प्राण प्रतिष्ठ हो , लक्ष्मी का वास श्री यंत्र में है। नित्य प्रति श्री यंत्र की पूजा कर श्री शुक्त का पाठ शुद्ध रूप से श्रद्धा भक्ति के साथ करने से आर्थिक लाभ जरुर होगा करके तो देखो।#पंकज।।

 ।।अथ #श्रीसूक्तम_स्तोत्र ।।
ॐ हिरण्यवर्णाम हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥१॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम्॥२॥
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम्।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मादेवी जुषताम्॥३॥
कांसोस्मितां हिरण्यप्राकारां आद्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वयेश्रियम्॥४॥
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियंलोके देव जुष्टामुदाराम्।
तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे॥५॥
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तववृक्षोथ बिल्व:।
तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मी:॥६॥
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्चमणिना सह।
प्रादुर्भुतो सुराष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृध्दिं ददातु मे॥७॥
क्षुत्पपासामलां जेष्ठां अलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृध्दिं च सर्वानिर्णुद मे गृहात॥८॥
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरिं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम्॥९॥
मनस: काममाकूतिं वाच: सत्यमशीमहि।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्री: श्रेयतां यश:॥१०॥
कर्दमेनप्रजाभूता मयिसंभवकर्दम।
श्रियं वासयमेकुले मातरं पद्ममालिनीम्॥११॥
आप स्रजन्तु सिग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले॥१२॥
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टि पिङ्गलां पद्ममालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥१३॥
आर्द्रां य: करिणीं यष्टीं सुवर्णां हेममालिनीम्।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आवह॥१४॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योश्वान् विन्देयं पुरुषानहम्॥१५॥
य: शुचि: प्रयतोभूत्वा जुहुयाादाज्यमन्वहम्।
सूक्तं पञ्चदशर्च च श्रीकाम: सततं जपेत्॥१६॥#पंकज

          शास्त्रों के मुताबिक इस दिन अगर अनुष्ठान किया जाए तो ये सफल होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान #श्री_कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था। वहीं शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर बैठकर भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी का भ्रमण करने आती हैं। इसलिए आसमान पर चंद्रमा भी सोलह कलाओं से चमकता है। #शरद_पूर्णिमा की धवल चांदनी रात में जो भक्त भगवान विष्णु सहित देवी लक्ष्मी और उनके वाहन की पूजा करते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत भर जाता है और ये किरणें हमारे लिए बहुत लाभदायक होती हैं। इन दिन सुबह के समय घर में माँ लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।

                                    विधि

          इस दिन प्रातः काल स्नान करके आराध्य देव को सुंदर वस्त्राभूषणों से सुशोभित करके आवाहन, आसान, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से उनका पूजन करना चाहिए। रात्रि के समय गौदुग्ध (गाय के दूध) से बनी खीर में घी तथा चीनी मिलाकर अर्द्धरात्रि के समय भगवान को अर्पण (भोग लगाना) करना चाहिए। पूर्ण चंद्रमा के आकाश के मध्य स्थित होने पर उनका पूजन करें। खीर का नैवेद्य अर्पण करके, रात को खीर से भरा बर्तन खुली चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करें। सबको उसका प्रसाद दें। पंकज। #पण्डित_पंकज_मिश्र_ज्योतिष_कोलकाता।।

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2022

मां सिद्धी दात्री के मंत्र ।।

माँ सिद्धिदात्री के मंत्र –

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

जिसका अर्थ है कि, सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, असुर और स्वयं देवताओं के द्वारा पूजित और सिद्धि देने वाली माँ सिद्धिदात्री हमें भी आठ सिद्धियां प्रदान करें और अपना असीम आशीर्वाद हमारे जीवन पर बनाए रखें।#पण्डित_पंकज_मिश्र_ज्योतिष_कोलकाता।।

रविवार, 2 अक्तूबर 2022

नील सरस्वती साधना।।

#नील_सरस्वती_साधना ।।

जीवन मे सर्वश्रेष्ठ सफलता के लिए 
#बिद्यार्थी  #पंडित #संगीत_साधक #कथाबाचक #वाकसिधी के लिए सर्वश्रेष्ठ #साधना ।। 
(1) गुरु के निर्देशन मे  ही ये साधना करे सफलता जरूर मिलेगा ।। #पंकज मिश्र ज्योतिष कोलकाता कालीघाट नाट मंदिर ।।

#नील_सरस्वती_साधना ।। 

देवी तारा दस महाविद्याओं में से एक है इन्हे नील सरस्वती भी कहा जाता है ! ये सरस्वती का तांत्रिक स्वरुप है

अब आप एक एक अनार निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ गणेश जी व् अक्षोभ पुरुष को काट कर बली दे ..

ॐ गं उच्छिस्ट गणेशाय नमः भो भो देव प्रसिद प्रसिद मया दत्तं इयं बलिं गृहान हूँ फट .
.ॐ भं क्षं फ्रें नमो अक्षोभ्य काल पुरुष सकाय प्रसिद प्रसिद मया दत्तं इयं बलिं गृहान हूँ फट ..

अब आप इस मंत्र की एक माल जाप करे ..
॥क्षं अक्षोभ्य काल पुरुषाय नमः स्वाहा॥

फिर आप निम्न मंत्र की एक माला जाप करे ..
॥ह्रीं गं हस्तिपिशाची लिखे स्वाहा॥

इन मंत्रो की एक एक माला जाप शरू में व् अंत में करना अनिवार्य है क्यों नील तारा देवी के बीज मंत्र की जाप से अत्यंत भयंकर उर्जा का विस्फोट होता है शरीर के अंदर .. ऐसा लगता है जैसे की आप हवा में उड़ रहे हो .. एक हि क्षण में सातो आसमान के ऊपर विचरण की अनुभति तोह दुसरे ही क्षण अथाह समुद्र में गोता लगाने की .. इतना उर्जा का विस्फोट होगा की आप कमजोर पड़ने लग जायेंगे आप के शारीर उस उर्जा का प्रभाव व् तेज को सहन नहीं कर सकते इस के लिए ही यह दोनों मात्र शुरू व् अंत में एक एक माला आप लोग अवस्य करना .. नहीं तोह आप को विक्षिप्त होने से स्वं माँ भी नहीं बचा सकती ..

इस साधना से आप के पांच चक्र जाग्रत हो जाते है तो आप स्वं ही समझ सकते हो इस मंत्र में कितनी उर्जा निर्माण करने की क्षमता है .. एक एक चक्र को उर्जाओ के तेज धक्के मार मार के जागते है ..अरे परमाणु बम क्या चीज़ है भगवती की इस बीज मंत्र के सामने ?
सब के सब धरे रह जायेंगे ..
मूल मंत्र-  " ॐ हृंग स्त्रि हूं फ्ट स्वाहा।। 
॥स्त्रीं ॥ ॥ STREENG ॥#pankaj 

जप के उपरांत रोज देवी के दाहिने हात में समर्पण व् क्षमा पार्थना करना ना भूले ..
साधना समाप्त करने की उपरांत यथा साध्य हवन करना .. व् एक कुमारी कन्या को भोजन करा देना ..अगर किसी कन्या को भोजन करने में कोई असुविधा हो तोह आप एक वक्त में खाने की जितना मुल्य हो वोह आप किसी जरुरत मंद व्यक्ति को दान कर देना ...
भगवती आप सबका कल्याण करे ..

जब भगवती का बीजमंत्र का एक लाख से ऊपर जप पूर्ण हो जाये तब उनके अन्य मंत्रो का जाप लाभदायी होता है

कुछ लॊग अपने आपको वयक्त नहीं कर पाते, उनमे बोलने की छमता नहीं होती ,उनमे वाक् शक्ति का विकास नहीं होता ऐसे जातको को बुधवार के दिन तारा यन्त्र की स्थापना करनी चाहिए ! उसका पंचोपचार पूजन करने के पश्चात स्फटिक माला से इस मंत्र का २१ माला जप करना चाहिए -

मंत्र - ॐ नमः पद्मासने शब्दरुपे ऐं ह्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा।

२१ वे दिन हवन सामग्री मे जौ-घी मिलाकर उपरोक्त मंत्र का १०८ आहुति दे और पूर्ण आहुति प्रदान करे !

इस साधना से वाक् शक्ति का विकास होता है , आवाज़ का कम्पन जाता रहता है ! यह  #मोहिनी विद्या है एवं बहुत से प्रवचनकार,कथापुराण वाचक इसी मंत्र को सिद्ध कर जन समूह को अपने शब्द जालो से मोहते है ! अपने पास कुछ भी गोपनीय नहीं रख रहा सब आप लोगो से शेयर कर रहा हु !! प्रतिदिन साधना से पूर्व माँ तारा का पूजन कर एक -एक माला (स्त्रीम ह्रीं हुं ) तारा कुल्लुका एवं ( अं मं अक्षोभ्य श्री ) की अवश्य करे I #पंडित_पंकज _मिश्र _ज्योतिषाचार्य _कोलकता _कालीघाट _नाट _मंदिर ।।

सभी समस्याओ के समाधान मंत्र-यन्त्र-तंत्र द्वारा उपलब्ध है हमारे यहाँ सभी प्रकार की समस्याओं के निवारण हेतु अनुष्ठान किये जाते है तथा मंत्र सिद्ध कवच और यन्त्र तैयार किये जाते है ।। #रत्न_बिचार के  जन्मकुंडली का फलादेश ज्ञात होता है ।
#पंडित_पंकज_मिश्र_ज्योतिष कोलकाता कालीघाट नाट मंदिर ।।

गुरुवार, 29 सितंबर 2022

पञ्चागुली साधना विधान ।।

#पंचागुली_साधना_विधान ।।

 #पंडित_पंकजमिश्रज्योतिष कोलकाता कालीघाट नाट मंदिर ।।

1. इस साधना को करने के लिए ‘पंचांगुली यंत्र व चित्र’ तथा ‘स्फटिक माला’, जो प्राण प्रतिष्ठायुक्त एवं मंत्र-सिद्ध हो, प्रयोग करना आवश्यक होता है।

 #नवरात्री मे #पंचागुली _साधना से #सिद्ध मिलती है ।।

2. यह साधना शुक्ल पक्ष की किसी भी द्वितीया, पंचमी, सप्तमी या पूर्णमासी को की जा सकती है।

 

3. यह साधना प्रातः कालीन है, इसे ब्रह्म मुहूर्त में ही करना चाहिए।

 

4. इस साधना को किसी एकांत स्थल या पूजा स्थल में ही, जहां शोर न हो, सम्पन्न करना चाहिए। यह सात दिन की साधना है।

 

5. पीले आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके, पीले वस्त्र धारण कर तथा गुरु चादर ओढ़ कर बैठ जायें।

 

6. फिर एक बाजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर गुरु चित्र/पादुका/ अथवा यंत्र स्थापित करें। उसी बाजोट पर ‘पंचांगुली देवी का चित्र व यंत्र’ भी स्थापित कर दें। यंत्र को किसी ताम्र प्लेट में रखें।

 

7. सबसे पहले गणपति का ध्यान करें, फिर गुरुदेव निखिल का ध्यान, स्नान, पंचोपचार पूजन सम्पन्न कर, गुरु माला से गुरु मंत्र की 1 माला जप करें।

 

8. गुरु पूजन के पश्‍चात् षोडशोपचार पूजन हेतु यंत्र पर कुंकुम से ‘स्वस्तिक’ का चिह्न बनायें।

 

9. निम्न प्रकार षोडशोपचार विधि से यंत्र का विधिवत् पूजन करें –

 

ध्यान
ॐ भूभुर्वः स्वः श्री पंचांगुली देवीं ध्यायामि।

 

आह्वान
ॐ आगच्छाच्छ देवेशि त्रैलोक्य तिमिरापहे।

 

क्रियमाणां मया पूजां गृहाण सुरसत्तमे॥
ॐ भूर्भुवः स्वः श्री पंचांगुली देवताभ्योः नमः आह्वाहनं समर्पयामि।

 

आसन
रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्य करं शुभम्।

 

आसनञ्च मया दत्तं गृहाण परमेश्‍वरीं॥
ॐ भूभुर्वः स्वः श्री पंचांगुली देवताभ्यो नमः आसनं समर्पयामि।

 

स्नान
गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदा जलैः।
स्नापिताऽसि मया देवि तथा शान्तिं कुरुष्व मे॥

 

पयस्नान
कामधेनु समुत्पन्नं सर्वेषां जीवनं परम्।
पावनं यज्ञ हेतुश्‍च पयः स्नानार्थमर्पितम्॥

 

दधिस्नान
पयसस्तु समुद्भूतं मधुराम्लं शशिप्रभम्।
दध्यानीतं मया देवि स्नानार्थं प्रति गृह्यताम्॥

 

मधुस्नान
तरुपुष्प समुद्भूतं सुस्वादु मधुरं मधु।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रति गृह्यताम्॥

 

घृतस्नान
नवनीत समुत्पन्नं सर्वसन्तोष कारकम्।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रति गृह्यताम्॥

 

शर्करास्नान
इक्षुरस समुद्भूता शर्करा पुष्टिकारिका।
मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रति गृह्यताम्॥

 

वस्त्र
सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे।
मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रति गृह्यताम्

 

गन्ध
श्री खण्ड चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्।
विलेपनं सुरश्रेष्ठि चन्दनं प्रति गृह्यताम्॥

 

अक्षत
अक्षताश्‍च सुरश्रेष्ठि कुकुम्माक्ता सुशोभिता।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्‍वरि॥

 

पुष्प
ॐ माल्यादीनि सुगंधीनि मालत्यादीनि वै विभे।
मयाहृतानि पुष्पाणि प्रीत्यर्थं प्रति गृह्यताम्॥

 

दीप
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेशि त्रैलोक्य तिमिरापहे॥

 

नैवेद्य
नैवेद्यं गृह्यतां देवि भक्तिं मे ह्यचला कुरु।
ईप्सितं मे वरं देहि परत्रेह परां गतिम्॥

 

दक्षिणा
हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः।
अनन्तः पुण्य फलदमतः शांतिं प्रयच्छ मे॥

 

विशेषार्घ्य
नमस्ते देवदेवेशि नमस्ते धरणीधरे।
नमस्ते जगदाधारे अर्घ्यं च प्रति गृह्यताम्।
वरदत्वं वरं देहि वांछितं वांछितार्थदं।
अनेन सफलार्घैण फलादऽस्तु सदा मम।
गतं पापं गतं दुःखं गतं दारिद्र्यमेव च।
आगता सुख सम्पत्तिः पुण्योऽहं तव दर्शनात्॥

 

10. हाथ में जल लेकर मंत्र-जप करने का संकल्प करें।

 

11. निम्नलिखित पंचांगुली मंत्र का ‘स्फटिक माला’ से 7 दिन तक एक-एक माला मंत्र-जप करें।

 

मंत्र

॥ ॐ ठं ठं ठं पंचांगुलि भूत भविष्यं दर्शय ठं ठं ठं स्वाहा ॥

 

12. मंत्र-जप करने का समय निर्धारित होना चाहिए।

 

13. जप काल में ध्यान रखने योग्य बातें –

 

* इस साधना को तभी सम्पन्न करें, जब आप दृढ़ चित्त हों, आपका निश्‍चय पक्का हो और संघर्षों से जूझने की शक्ति हो।*  गृहस्थ साधना काल में स्त्री सम्पर्क न करें, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें।*  साधना काल में असत्य भाषण न करें। *  मंत्र जप के समय बीच में उठें नहीं। *  गुरु के प्रति आस्थावान होकर, गुरु पूजन के पश्‍चात् ही साधना सम्पन्न करें।  िं तामसिक भोजन से दूर रहें।*  मंत्रोच्चारण शुद्ध व स्पष्ट हो।*  यदि साधना पूरी होने पर भी सफलता न मिले, तो झुंझलावें नहीं, बार-बार प्रयत्न करें।

 

14. साधना-समाप्ति के पश्‍चात् समस्त सामग्री को किसी नदी या कुंए में विसर्जित कर दें।#pankaj.

 

इस प्रकार पूर्ण विश्‍वास के साथ की गई साधना से मंत्र की सिद्ध होती ही है तथा उस साधक को भूत, भविष्य एवं वर्तमान की सिद्धि हो जाती है। पंडित पंकज मिश्र ज्योतिष कोलकाता कालीघाट नाट मंदिर ।।  सभी ज्योतिष को ये पंचांगुली साधना नवरात्रि मे जरूर करना चाहिए ।
#pandit_pankaj_mishra
#astrologor_kolkata.

बुधवार, 28 सितंबर 2022

Navratri: शीघ्र विवाह के लिए ऐसे करें मां कात्यायनी की आराधना ।। #पंडित_पंकज _मिश्र #ज्योतिष_कोलकता।

#Navratri:  शीघ्र विवाह के लिए ऐसे करें मां कात्यायनी की आराधना ।। #पंडित_पंकज _मिश्र  #ज्योतिष_कोलकता #कालीघाट ।।

अगर आप चाहते हैं आपको शीघ्र विवाह हो जाए तो ऐसे करें मां कात्यायनी की आराधना..

 

#मां _कात्यायनी ।

नवदुर्गा के छठे स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था अतः इनको कात्यायनी कहा जाता है. इनकी चार भुजाओं मैं अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है, इनका वाहन सिंह है. ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं.

गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी. विवाह सम्बन्धी मामलों के लिए इनकी पूजा अचूक होती है. योग्य और मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है. ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध इनसे माना जाना चाहिए.

इनकी पूजा से किस तरह की मनोकामना पूरी होती है?

- कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए इनकी पूजा अद्भुत मानी जाती है.

- मनचाहे विवाह और प्रेम #विवाह के लिए भी इनकी उपासना की जाती है.

- वैवाहिक जीवन के लिए भी इनकी पूजा फलदायी होती है.

- अगर कुंडली में विवाह के योग क्षीण हों तो भी विवाह हो जाता है.

माता का सम्बन्ध किस ग्रह और देवी-देवता से है?

- महिलाओं के विवाह से सम्बन्ध होने के कारण इनका भी सम्बन्ध बृहस्पति से है.

- दाम्पत्य जीवन से सम्बन्ध होने के कारण इनका आंशिक सम्बन्ध शुक्र से भी है.

- शुक्र और बृहस्पति, दोनों दैवीय और तेजस्वी ग्रह हैं, इसलिए माता का तेज भी अद्भुत और सम्पूर्ण है.

- माता का सम्बन्ध कृष्ण और उनकी गोपिकाओं से रहा है और ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं.

कैसे करें मां कात्यायनी की सामान्य पूजा?

- गोधूली वेला के समय पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करके इनकी पूजा करनी चाहिए.

- इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें. ओ शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है.

-  मां को सुगन्धित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम सम्बन्धी बाधाएं भी दूर होंगी.

- इसके बाद मां के समक्ष उनके मन्त्रों का जाप करें.

शीघ्र विवाह के लिए कैसे करें मां #कात्यायनी की पूजा?

- गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करें.

-  मां के समक्ष दीपक जलाएं और उन्हें पीले फूल अर्पित करें.

- इसके बाद 3 गांठ हल्दी की भी चढ़ाएं.

-  मां कात्यायनी के मन्त्रों का जाप करें.

- मन्त्र होगा -

"कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी।

नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।"

- हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें.

 मां कात्यायनी की उपासना से कैसे बढ़ेगा तेज?

-  मां कात्यायनी को शहद अर्पित करें.

- अगर ये शहद चांदी के या मिटटी के पात्र में अर्पित किया जाए तो ज्यादा उत्तम होगा. #pankaj 

- इससे आपका प्रभाव बढ़ेगा और आकर्षण क्षमता में वृद्धि होगी ।
#पंडित_पंकज _मिश्र #ज्योतिष_कोलकाता. #कालीघाट ।।

शनिवार, 24 सितंबर 2022

शारदीय नवरात्रि 2022.

#शारदीय_नवरात्रि_2022 आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं, जो इस बार 26 सितम्बर, 2022 से देशभर में धूमधाम से मनाये जाएंगे। नवरात्रि के इन पावन नौ दिनों में भक्तों द्वारा माँ के सभी नौ स्वरूपों की पूरी श्रद्धा-भक्ति और विधि-विधान पूर्वक पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के समय में भगवती देवी दुर्गा माँ धरती पर अवतरित होती हैं और अपने भक्तों को अपनी ममता और कृपा दृष्टि का आशीर्वाद देती हैं। 
शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर, 2022 सोमवार से हो रहा है और इसका समापन बुध बार  5 अक्टूबर, 2022 को होगा। इस बार माँ दुर्गा को नौ दिनों तक भक्तों द्वारा पूजा जाएगा, जिसकी शुरुआत पहले दिन घटस्थापना या कलश स्थापना के साथ की जाती है और आखिरी के दो दिन यानी अष्टमी और नवमी को संधि पूजा का विशेष महत्व है,  कन्या पूजन किया जाता है।  दश्मी को मां दुर्गा का बिशर्जन। ये तो गृहस्थों के लिए  है । दशमी के दिन सुबह नीलकंठ पाछीं के दर्शन करने से साल भर समय शुभ रहेगा और , शस्त्र पूजन का विधान है।।#pankaj
पर तंत्र मंत्र यंत्र के साधना के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण समय होता है #नवरात्रि। साधक अपनी गुरु के निर्देशन में, दश #महाविद्या_साधना । दश दिग्पाल की साधन । मंत्रो को सिद्ध करने का  भक्ति पूर्वक क्रिया कर मंत्र यंत्र का पूजन कर । बहुत ही अच्छा योग होता है। बहुत तरह के साधना कर  सिद्ध महापुरुष बन सकता है।। कहने में जितना आसान है लेकिन ये साधना सिद्धी बहुत ही कठिन मार्ग । बहुत मुश्किल है सही गुरु मिलना? अगर बहुत भाग्यशाली हैं मां काली की पूजा अर्चना साधना बर्षो से करते आ रहे हैं तो हो सकता है मां काली के कृपा से कोई गुरु मिल भी जाए तो बहुत ज्यादा परीक्षा देने के बाद साधक थख हार कर मार्ग पर भटक जाते है, और  ज्यादतर लोग  बिक्षिषत हो जाता है उस समय गुरु ही उसको बचाकर सही मार्ग पर ला कर सिद्ध लाभ करात है । अताधिक धोर दृढप्रतिज्ञ गुरु के प्रति श्रद्धा भक्ति समर्पण का भाव होना जरूरी। ये बहुत ज्यादा कठिन होता है सामान्य लोगों के लिए नहीं ।। #पण्डित_पंकज_मिश्र #ज्योतिष_कोलकाता_कालीघाट।।

शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

Shardiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि 2022 में माता का आगमन और प्रस्थान कैसे होगा, जानें इसके ये गुप्त संकेत और उपाय ।।

Shardiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि 2022 में माता का आगमन और प्रस्थान कैसे होगा, जानें इसके ये गुप्त संकेत और उपाय ।।

शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता'। गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे। नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्।।





Shardiya Navratri 2022: वैसे तो मातारानी की सवारी शेर है, लेकिन नवरात्रि में उनका आगमन के दिनों के अनुसार उनकी सवारी बदलती रहती है। प्रत्येक साल नवरात्रि पर मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान एक विशेष वाहन पर होता है, वहीं मां के आगमन और प्रस्थान के वाहन में ही भविष्य के कई विशेष संकेत छिपे रहते हैं।


Shardiya Navratri 2022: वैसे तो मातारानी की सवारी शेर है, लेकिन नवरात्रि में उनका आगमन के दिनों के अनुसार उनकी सवारी बदलती रहती है। प्रत्येक साल नवरात्रि पर मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान एक विशेष वाहन पर होता है, वहीं मां के आगमन और प्रस्थान के वाहन में ही भविष्य के कई विशेष संकेत छिपे रहते हैं। वहीं अब साल 2022 में शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर 2022, दिन सोमवार से हो रहा है और इस वर्ष मातारानी हाथी पर सवार होकर मृत्युलोक में आ रही हैं। जिसे शुभ और अशुभ दोनों ही संयोग के रुप में देखा जा रहा है। क्योंकि हाथी पर मातारानी के आगमन से बरसात अच्छी होती है और फसल भी अच्छी होती है। जोकि हमारी आर्थिक व्यवस्था के लिहाज से बहुत अच्छा और शुभ संकेत है। जिससे आने वाले दिनों में हमारी आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है। परन्तु हमें इस दौरान सचेत रहने की भी बहुत आवश्यकता है, वहीं बीते वर्ष मां दुर्गा डोली में सवार होकर पृथ्वी लोक पर आई थी, जिससे पूरा जनमानस एक महामारी की चपेट में आ गया और वर्तमान में भी इस भारी विपदा से मुक्त नहीं हो सका है। तो आइए जानते हैं नवरात्रि में माता के आगमन और प्रस्थान से जुड़ी बातों के बारे में...

शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।

गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।।

गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।

नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।

अर्थात नवरात्रि की प्रथम पूजा यानि कलश स्थापना सोमवार, रविवार को होती है तो माता दुर्गा भवानी हाथी पर सवार होकर पृथ्वी लोक में आती हैं। वहीं शनिवार और मंगलवार में कलश स्थापना होने पर माता दुर्गा भवानी अश्व पर सवार होकर पृथ्वी लोक में आती हैं। तथा गुरूवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता दुर्गा भवानी डोली में बैठकर पृथ्वी लोक में आती हैं। वहीं बुधवार के दिन कलश स्थापना की पूजा संपन्न होने पर माता भवानी नाव में बैठकर पृथ्वी लोक में आती हैं।

वहीं जिस तरह से माता के आगमन की सवारी दिनों के अनुसार निश्चित होती है, उसी प्रकार माता के प्रस्थान की सवारी भी निश्चित होती है।

शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।

शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।

बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।

सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥#pankaj

अर्थात माता दुर्गा भवानी का प्रस्थान रविवार या सोमवार को होने पर माता भैंसे पर बैठकर अपने लोक के लिए प्रस्थान करती हैं, जिसके कारण देश और दुनिया में रोग और शोक का वातावरण बना रहता है। वहीं शनिवार या मंगलवार के दिन माता भवानी मुर्गे पर सवार होकर अपने लोक को जाती हैं, जिससे जनमानस में दुख और कष्ट की वृद्धि होती है। बुधवार और शुक्रवार के दिन माता भवानी हाथी पर सवार होकर जाती हैं, जिससे वर्षा अच्छी होती है और वहीं गुरुवार के दिन मां भवानी मनुष्य की सवारी करती हैं, जिससे देश और दुनिया में सुख और शांति की वृद्धि होती है।
#पण्डित_पंकज_मिश्र
#ज्योतिष_कोलकाता।।

शनिवार, 17 सितंबर 2022

Find your profitable business from your Horescope जन्मकुंडली.

Find your #Profitable #Business and source of Income from your #Kundli

Business and #Money in your Kundli
People earn for a good life. A well chosen #profession lessens worries in life. Proper profession ensures his or her success and a beautiful life. #Vedic #astrology has given useful ways of crafting a perfect professional life.

Business or service
While choosing a #career a native may be in dilemma whether to go for business or service. #Vedic #astrology says that if there is any weak #planet in the 2nd, 5th, 9th, 10th or 11th house of a #kundli then the native should take service. Whereas business is the right choice for a native if the above mentioned houses have strong planets.

2nd house determines the financial status
The 2nd house of kundli gives an idea about the financial status of a person. The 2nd house also determines the success of an individual. Profit from partnership business, trading are also calculated from this house.

Status of wealth and income from 4th to 7th house
The 4th house of kundli determines paternal wealth. The 5th house of kundli gives sudden wealth to its native. The native may get money from lottery as this house usually has exalted planet. Status of partnership in business and wealth from marital relationship can be determined from the 7th house. A curious native may even find his or her fortune from in-laws.

Suitable profession from 8th to 12th house
According to #Indian #astrological_principles the 8th house in kundli is the significator of sufferings as well as income of its native. The house indicates sudden wealth, profit from betting, and financial favor from women.

The 9th house is the house of luck. The 10th house of kundli is the house of business, service and other careers. This house indicates the status of income from government service and private sector. A native’s expenditures can be calculated from the 12th house of his or her kundli. You can check the ratio of your income and expenditure from the 12th house.

Planets in 10th house points out income
Sun or Moon in the 10th house indicates wealth from father or paternal relationship. Placement of Sun in this house means the native may do his or her father’s role. Similarly, Moon in 10th house signifies wealth from mother or maternal side. There is a chance of success in fields powered by Moon.

#Astrologers say that Mars in 10th house gives its natives profit from opposition. Mars enhances its native’s success in army, defense and ammunition department.

Mercury brings happiness and full support of friends, financial and mental. Jupiter in the 10th house means care and company of brothers. The native makes a profitable career in education or as an advisor, counselor, lecturer and other Jupiter dominated fields.

Venus in the 10th house means native’s fabulous income in art industry. She makes successful career in music, dancing, acting, painting and other art related fields. Astrology says Saturn in this house makes its native hard working. With this the native achieves #success in tourism, iron, wooden furniture, cement and chemical industry. Written by #Pandit_pankaj_mishra. 
#Astrologer_kolkata.

शुक्रवार, 16 सितंबर 2022

Narendra Modi Horoscope janmkundali. Analysis by pandit pankaj mishra Astrologer kolkata. श्री नरेंद्र मोदी जी की जन्मकुंडली ।

Narendra Modi Horoscope 
 janmkundali. Analysis  by pandit pankaj mishra Astrologer kolkata. 
श्री नरेंद्र मोदी  जी की जन्मकुंडली ।
 
भारत के प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को सुबह 10:15 पर गुजरात राज्य के वड़नगर मेहसाणा में हुआ था । मोदी जी की कुंडली तुला लग्न और वृश्चिक राशि की है जन्म का नक्षत्र अनुराधा है जो कि दूसरे चरण में उनका जन्म हुआ है । 

  
मिडिया मे इनकी कुंडली बृशचिक लग्न की प्रचलित है जो सरासर गलत है, देखने से भी मोदी जी तुला लग्न के जातक दिखते है, जो ऐक अनुभवी ज्योतिष ही जान सकता है, शोशल मिडिया मे ज्यादा तर नकल कॉपी कर ऐक ही चीज को अपने नाम से पोस्ट करते है, अपना दिमाग नही लगाते है । Google  में सर्च करो तो इनकी बृश्चिक लग्न की कुण्डली ज्यादातर दिखता है, जो गलत है किसी ऐक का मेहनत हजारो लोग बिना सोचे समझे अपने नाम से पोस्ट कर  विख्यात होने का गलत कोशिश करते रहे है ।   अब मोदी जी के चाल  चेहरे व्यक्तित्व को देखकर कोई भी अनुभवी ज्योतिष तुला लग्न ही बतायेगा,  तुला मतलब तराजू के तरह बैलेंस बनावट शरिर बैलेंस चाल, ईनके जीवन के घटनाक्रम के साथ मेल खाता है जैसे  बिदेश  मे सफलता  । सांसारिक जिवन । कपडो के शौकीन भाषण कला सबका ताल मेल जीवन के प्रमुख घटनाक्रम दशा अंतर्दशा का गणना काल क्रम से बिल्कुल मेल खाता है । जबकि मिडिया मे प्रचलित इनकी बृशचिक लग्न की कुंडली से ना ही इनका व्यक्तितव ना ही  जिवन के घटनाक्रम से मेल नही खाती है ।  लग्नेश शुक्र ऐकादश भाव मे शनि के साथ गुरु शनि की समसपतक सन्यास योग " यही कारण है कि मोदी सन्यासी जिवन जिने का आदी है  । कर्म स्थान का स्वामी चन्द्रमा दुतिय बलवान मंगल के साथ  क्षेत्राधिपती योग मंगल सेनापति सहायक कृष्ण के तरह सारथी सहयोगी के रूप मे अमित शाह मंगल के भूमिका मे,  चंद्रमा कर्म स्थान का स्वामी स्त्री कारक फलतः मोदी मंत्रीमंडल मे महिला का बड़ा सहयोग । यद्यपि चंद्र निच का होने के कारण जिवन मे मानषिक तनाव यंत्रणा जरूरत से ज्यादा झेलना पड़ा है तरह तरह के सजिस आरोप झेलते हुऐ बहुत मजबूत मानसिकता संसारिक बंधन मे अरूचि 
 । दूरदृष्टि दृढ निश्चय ।
नवम भाव के स्वामी बुध द्वादश मे ऊंच के नवम द्वादश का शुभ योग जातक को बिदेश मे ऊंच सफलता दिलाता है, ये शुभ योग श्री मोदी जी की कुंडली मे दिख रही है । भाग्येश बुध द्वादश भाव मे ऊंच का बुध बाणी का कारक ग्रह है यही कारण है कि मोदी जी की वाणी भाषण मे ऐक    चुंवक के तरह आकर्षित करती है,  बुध के साथ सूर्य का योग बुद्धादित्य योग के कारण बिदेश मे बरे बरे राजनेता मोदी के सामने  सर झुकाते है जनता ऐक झलक देखने के लिए मोदी मोदी के नारे लगाते हुए झुमने लगते है, ये है बुद्धादित्य योग का कमाल । पर सूर्य बुध के साथ देखे तो केतु भी साथ मे बैठा है । केतु का फल =     रहस्यमई सखसियत   
केतु +सुर्य योग ग्रहण योग के कारण बहुत कष्ट झेलनी पड़ी बचपन से ही  गरिवी  अभाव पिता के सुख मे कमी,  मिथ्या आरोप  पर यही केतु  रहस्यमयी सखसियत  का ईनका अगला कदम क्या होगा? कोई नही जानते  दैवो न जानाती कुत्तों मनुषयम । रिस्क लेना जोखिम उठाने की कोशिश बड़ा फैसला लेकर सब को चौंका देना 'बडे बडे शत्रु पैदा कर लेना  दूरदृष्टि कूटनीतिक । छठे स्थान मे राहु  शत्रुहंता योग  , राजनीति का प्रवल कारक ग्रह है राहु । शनि चतुर्थ भाव जनता का प्रतिनिधित्व कारक लग्नेष शुक्र के साथ अच्छा तालमेल सत्ता कारक सूर्य के घर मे बैठे है यही कारण है कि जनता के लोकप्रिय नेता बने  ।  द्वादश केतु दुतिय मंगल शत्रु द्वारा छुप कर अगनेअस्त्र-से हमला होने की प्रवल संभावना है,  कब होगा घटना ईसके लिए दशा अंतर्दशा गोचर का गहन अध्ययन कर किसी भी भावी घटना का समय निकाला जा सकता है। अपने सुरक्षा पर बिशेष ध्यान देने की जरूरत खास करके बिदेश दौरे पर ज्यादा ये केतु बिदेश के संकेत दे रहा है ।। केतु मंगल लग्न के दोनो ओर जानलेवा हमला का संकेत, बिशेष  सुरक्षा के बीच रहने की जरूरत है ।
श्री मोदी जी वर्तमान समय मे चंद्र महादशा के प्रभाव मे है जो ऊतम समय है सफलता मिलेगी जुलाई  2022  तक चंद्र सफलतापूर्वक देश का पार्टी का महिला सहयोगियो का बिशेष योगदान रहेगा ।। अक्टूबर  2019  से मई  2020 के मधय कुछ गलत सा फैसला लेने के कारण  गुप्त शत्रु भय सावधान ।।  ब्राह्मण बीरोधी फैसला लिया तो सर्वनाश  परिणाम देख चुके हैं एक झटकों मे पांच राज्य गवा चुके हैं और सवक लें। जुलाई  2022 के बाद मंगल महादशा मे   असली खेला हेवे  युद्धरत का समय  । सिमा का बिस्तार बरे भूभाग पर भारत का कब्जा होगा पर ऊसी दोरान मंगल महादशा मे  केतु के अंतर्दशा मे घात लगाकर जानलेवा हमला  भी होगा ।।   15  - 01 - 2027   से  12 - 06 - 2027  के मध्य ।
 बिस्तार भय से ईस लेख को यही बिराम देता हु  ।। पंडित पंकज मिश्र ज्योतिष कोलकाता कालीघाट ।
2029 तक मोदी जी कई ऐतिहासिक बरे फैसले लेगे, दुनियाभर मे मोदी का डंका बजेगा । भारत हि नही पुरे दुनियाभर  मे मोदी के बराबर कोई नेता नही रहेगा ।। pok भी भारत का हिस्सा होगा आने वाले समय मे भारत विश्व गुरु बनेगा ।।     ये बिश्लेशन बहुत ही संक्षिप्त विवरण दिया है ।।

#श्री_नरेंद्र_मोदी_जी_को  #जन्मदिन_की_हार्दिक #शुभकामना ।। #पंडित #पंकज_मिश्र_ज्योतिष #कोलकाता_कालीघाट ।।  मित्रों कुछ अधकचरे नकली  ज्योतिष गलत कॉमेंट करेंगे जिन्हें ज्योतिष का ज्ञान ही नहीं वो  सुनी सुनाई बात  का अनुसरण करते हैं । मै तथ्यों के आधार पर लिखा हू ।। ये नकली ज्योतिष ही ज्योतिष को  बदनाम करते है , कहीं देख लिया अपना दिमाग नहीं लगाते हैं ।  Only dead fish go with the flow. नकली ज्योतिष को पहचाने ।। कुण्डली वही सही जिससे जीवन के घटना क्रम मेल करें ।

Narendra Modi Horoscope janmkundali. Analysis by pandit pankaj mishra Astrologer kolkata. श्री नरेंद्र मोदी जी की जन्मकुंडली ।

Narendra Modi Horoscope 
 janmkundali. Analysis  by pandit pankaj mishra Astrologer kolkata. 
श्री नरेंद्र मोदी  जी की जन्मकुंडली ।
 
भारत के प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को सुबह 10:15 पर गुजरात राज्य के वड़नगर मेहसाणा में हुआ था । मोदी जी की कुंडली तुला लग्न और वृश्चिक राशि की है जन्म का नक्षत्र अनुराधा है जो कि दूसरे चरण में उनका जन्म हुआ है । 

  
मिडिया मे इनकी कुंडली बृशचिक लग्न की प्रचलित है जो सरासर गलत है, देखने से भी मोदी जी तुला लग्न के जातक दिखते है, जो ऐक अनुभवी ज्योतिष ही जान सकता है, शोशल मिडिया मे ज्यादा तर नकल कॉपी कर ऐक ही चीज को अपने नाम से पोस्ट करते है, अपना दिमाग नही लगाते है । Google  में सर्च करो तो इनकी बृश्चिक लग्न की कुण्डली ज्यादातर दिखता है, जो गलत है किसी ऐक का मेहनत हजारो लोग बिना सोचे समझे अपने नाम से पोस्ट कर  विख्यात होने का गलत कोशिश करते रहे है ।   अब मोदी जी के चाल  चेहरे व्यक्तित्व को देखकर कोई भी अनुभवी ज्योतिष तुला लग्न ही बतायेगा,  तुला मतलब तराजू के तरह बैलेंस बनावट शरिर बैलेंस चाल, ईनके जीवन के घटनाक्रम के साथ मेल खाता है जैसे  बिदेश  मे सफलता  । सांसारिक जिवन । कपडो के शौकीन भाषण कला सबका ताल मेल जीवन के प्रमुख घटनाक्रम दशा अंतर्दशा का गणना काल क्रम से बिल्कुल मेल खाता है । जबकि मिडिया मे प्रचलित इनकी बृशचिक लग्न की कुंडली से ना ही इनका व्यक्तितव ना ही  जिवन के घटनाक्रम से मेल नही खाती है ।  लग्नेश शुक्र ऐकादश भाव मे शनि के साथ गुरु शनि की समसपतक सन्यास योग " यही कारण है कि मोदी सन्यासी जिवन जिने का आदी है  । कर्म स्थान का स्वामी चन्द्रमा दुतिय बलवान मंगल के साथ  क्षेत्राधिपती योग मंगल सेनापति सहायक कृष्ण के तरह सारथी सहयोगी के रूप मे अमित शाह मंगल के भूमिका मे,  चंद्रमा कर्म स्थान का स्वामी स्त्री कारक फलतः मोदी मंत्रीमंडल मे महिला का बड़ा सहयोग । यद्यपि चंद्र निच का होने के कारण जिवन मे मानषिक तनाव यंत्रणा जरूरत से ज्यादा झेलना पड़ा है तरह तरह के सजिस आरोप झेलते हुऐ बहुत मजबूत मानसिकता संसारिक बंधन मे अरूचि 
 । दूरदृष्टि दृढ निश्चय ।
नवम भाव के स्वामी बुध द्वादश मे ऊंच के नवम द्वादश का शुभ योग जातक को बिदेश मे ऊंच सफलता दिलाता है, ये शुभ योग श्री मोदी जी की कुंडली मे दिख रही है । भाग्येश बुध द्वादश भाव मे ऊंच का बुध बाणी का कारक ग्रह है यही कारण है कि मोदी जी की वाणी भाषण मे ऐक    चुंवक के तरह आकर्षित करती है,  बुध के साथ सूर्य का योग बुद्धादित्य योग के कारण बिदेश मे बरे बरे राजनेता मोदी के सामने  सर झुकाते है जनता ऐक झलक देखने के लिए मोदी मोदी के नारे लगाते हुए झुमने लगते है, ये है बुद्धादित्य योग का कमाल । पर सूर्य बुध के साथ देखे तो केतु भी साथ मे बैठा है । केतु का फल =     रहस्यमई सखसियत   
केतु +सुर्य योग ग्रहण योग के कारण बहुत कष्ट झेलनी पड़ी बचपन से ही  गरिवी  अभाव पिता के सुख मे कमी,  मिथ्या आरोप  पर यही केतु  रहस्यमयी सखसियत  का ईनका अगला कदम क्या होगा? कोई नही जानते  दैवो न जानाती कुत्तों मनुषयम । रिस्क लेना जोखिम उठाने की कोशिश बड़ा फैसला लेकर सब को चौंका देना 'बडे बडे शत्रु पैदा कर लेना  दूरदृष्टि कूटनीतिक । छठे स्थान मे राहु  शत्रुहंता योग  , राजनीति का प्रवल कारक ग्रह है राहु । शनि चतुर्थ भाव जनता का प्रतिनिधित्व कारक लग्नेष शुक्र के साथ अच्छा तालमेल सत्ता कारक सूर्य के घर मे बैठे है यही कारण है कि जनता के लोकप्रिय नेता बने  ।  द्वादश केतु दुतिय मंगल शत्रु द्वारा छुप कर अगनेअस्त्र-से हमला होने की प्रवल संभावना है,  कब होगा घटना ईसके लिए दशा अंतर्दशा गोचर का गहन अध्ययन कर किसी भी भावी घटना का समय निकाला जा सकता है। अपने सुरक्षा पर बिशेष ध्यान देने की जरूरत खास करके बिदेश दौरे पर ज्यादा ये केतु बिदेश के संकेत दे रहा है ।। केतु मंगल लग्न के दोनो ओर जानलेवा हमला का संकेत, बिशेष  सुरक्षा के बीच रहने की जरूरत है ।
श्री मोदी जी वर्तमान समय मे चंद्र महादशा के प्रभाव मे है जो ऊतम समय है सफलता मिलेगी जुलाई  2022  तक चंद्र सफलतापूर्वक देश का पार्टी का महिला सहयोगियो का बिशेष योगदान रहेगा ।। अक्टूबर  2019  से मई  2020 के मधय कुछ गलत सा फैसला लेने के कारण  गुप्त शत्रु भय सावधान ।।  ब्राह्मण बीरोधी फैसला लिया तो सर्वनाश  परिणाम देख चुके हैं एक झटकों मे पांच राज्य गवा चुके हैं और सवक लें। जुलाई  2022 के बाद मंगल महादशा मे   असली खेला हेवे  युद्धरत का समय  । सिमा का बिस्तार बरे भूभाग पर भारत का कब्जा होगा पर ऊसी दोरान मंगल महादशा मे  केतु के अंतर्दशा मे घात लगाकर जानलेवा हमला  भी होगा ।।   15  - 01 - 2027   से  12 - 06 - 2027  के मध्य ।
 बिस्तार भय से ईस लेख को यही बिराम देता हु  ।। पंडित पंकज मिश्र ज्योतिष कोलकाता कालीघाट ।
2029 तक मोदी जी कई ऐतिहासिक बरे फैसले लेगे, दुनियाभर मे मोदी का डंका बजेगा । भारत हि नही पुरे दुनियाभर  मे मोदी के बराबर कोई नेता नही रहेगा ।। pok भी भारत का हिस्सा होगा आने वाले समय मे भारत विश्व गुरु बनेगा ।।     ये बिश्लेशन बहुत ही संक्षिप्त विवरण दिया है ।।

#श्री_नरेंद्र_मोदी_जी_को  #जन्मदिन_की_हार्दिक #शुभकामना ।। #पंडित #पंकज_मिश्र_ज्योतिष #कोलकाता_कालीघाट ।।  मित्रों कुछ अधकचरे नकली  ज्योतिष गलत कॉमेंट करेंगे जिन्हें ज्योतिष का ज्ञान ही नहीं वो  सुनी सुनाई बात  का अनुसरण करते हैं । मै तथ्यों के आधार पर लिखा हू ।। ये नकली ज्योतिष ही ज्योतिष को  बदनाम करते है , कहीं देख लिया अपना दिमाग नहीं लगाते हैं ।  Only dead fish go with the flow. नकली ज्योतिष को पहचाने ।। कुण्डली वही सही जिससे जीवन के घटना क्रम मेल करें ।

बुधवार, 20 जुलाई 2022

कालसर्प योग शान्ति का अनुभव प्रयोग। पंडित पंकज मिश्र ज्योतिष कोलकाता।।

#कालसर्प_योग के शान्ति का सबसे अच्छा उपाय।।पंडित पंकज मिश्र ज्योतिष कोलकाता।। कालसर्प_ प्राणप्रतिष्ठा युक्त यंत्र पूजा करे पाठ करे श्राद्ध भक्ति के साथ।। पंकज मिश्र।
ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्
पीपल या बरगद के पेड़ को प्रतिदिन पानी दें ।
आप इसके लिए राहु एवं केतु की पूजा करें ।राहु एवं केतु के मंत्रों का जाप करें।
कालसर्प दोष निवारण मंत्र का जाप करें |

आप इसके लिए राहु एवं केतु की पूजा करें। राहु एवं केतु के मंत्रों का जाप करें।
राहु के मंत्र– ।।ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।।

केतु के मंत्र – ।। ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रों सः केतवे नमः।।

भगवान शिव की पूजा अर्चना करें। सरसों का दीपक जलाकर “ओम नमः शिवाय“ मंत्र का 21000 बार जप करें।
भगवान श्री कृष्ण का पूजन करें और प्रतिदिन “ओम नमो भगवते वासुदेवाय”  मंत्र का 108 बार जप करें।
महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
कालसर्प दोष निवारण मंत्र का जाप करें |
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। नान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

नमनाग  स्त्रोत्र का पाठ करें।

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत इति श्री नवनागस्त्रोत्रं सम्पूर्णं ll

॥ नाग गायत्री मंत्र ॥

ll ॐ नव कुलाय विध्महे विषदन्ताय धी माहि तन्नो सर्प प्रचोदयात ll

लंबे समय से कुंडली में कालसर्प दोष के नाम से आमजन परेशान होता रहा है । 

ये किसी को पता ही नहीं हैं कि एक सामान्य टोटके से इस दोष से मुक्ति पाई जा सकती हैं। असल में जब कुंडली में राहु व केतु के बीच शेष सात ग्रह आ जााते हैं तब कुंडली में कालसर्प दोष बनता है।।
कालसर्प योग मुख्य 12 प्रकार के होते हैं और इसका प्रभाव भी 12 तरह का होता है जो जन्मकुंडली से पता चलता है की कौन सी तरह की है।
एेसे में अमावस तिथि को  वे लोग जिनको रोजगार नहीं मिल रहा हैं, वे जिनका व्यापार नहीं चलता हो, विवाह में समस्या हो या अन्य समस्या हो वे ये #टोटका करें। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए अमावस के दिन किए गए विशेष उपाय व टोटके बड़ा लाभ देते हैं। इसके लिए अमावस की दोपहर को पीपल के वृक्ष पर जल, दुध व शक्कर मिलाकर कालसर्प दोष से मुक्ति व शांति की प्रार्थना के साथ श्री सर्प सूक्त का जप 21 बार करें। इसके पूर्व सर्प गायत्री का जप 108 बार करें। सर्प गायत्री के जप के बाद ही 21 बार श्री सर्प सूक्त का पाठ करें।

ये है सर्प गायत्री
ऊं नवकुलाय विद्यमहे, विषदंताय धीमहि तन्न: सर्प प्रचोदयात:।

ये है श्री सर्प सूक्त का पाठ

ब्रह्मलोकेषु ये सर्पा शेषनाग परोगमा: नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासु‍कि प्रमुखाद्य: नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।
कद्रवेयश्च ये सर्पा मातृभक्ति परायणा। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखाद्य। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा वासुकिना च रक्षिता। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखाद्य। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।
पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।
ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पप्रचरन्ति। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।
समुद्रतीरे ये सर्पाये सर्पा जंलवासिन: नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।
रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।#पंडित #पंकज_मिश्र_ज्योतिष_कोलकाता_कालीघाट।। #पारद_शिवलिंग की पूजा करे घर में स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठित किया गया।।

रविवार, 10 जुलाई 2022

नाड़ी दोष जन्मकुंडली मे ।।

नाड़ी दोष  #जन्मकुंडली मे ।।
#पंडित_पंकज_मिश्र_ज्योतिष_कोलकाता  ।।
नाड़ी दोष होने पर अक्सर भावी दम्पती का गुण मेलापक मान्य नहीं होता है, इसका मुख्य कारण यह है कि 36 गुणों में से नाड़ी के लिए सबसे अधिक आठ गुण निर्धारित हैं। मेलापक में नाड़ी के द्वारा भावी दम्पति की मानसिकता व मनोदशा का मूल्यांकन किया जाता है। नाड़ी दोष होने पर वर-वधू में पारस्परिक विकर्षण पैदा होता है और संतान पक्ष के लिए यह दोष हानिकारक हो सकता है। नाड़ी दोष का परिहार (काट) यदि वर कन्या की कुंडली में उपलब्ध हो तो ऎसे में विवाह करना शास्त्रसम्मत है।

क्या है नाड़ी और दोष ?
भारतीय ज्योतिष में नाड़ी का निर्धारण जन्म नक्षत्र से होता है। प्रत्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं। नौ नक्षत्रों की एक नाड़ी होती है। जन्म नक्षत्र के आधार पर नाडियों को तीन भागों में विभाजित किया गया है, जिन्हें आद्य (आदि), मध्य और अन्त्य नाड़ी के नाम से जाना जाता है। यदि किसी का जन्म पुष्य नक्षत्र में हुआ हो तो उसकी मध्य नाड़ी होगी। इसी प्रकार अन्य सभी 27 नक्षत्रों का नाडियों में विभाजन निम्न प्रकार किया गया है।

आद्य नाड़ी: अश्विनी, आर्द्रा, पुर्नवसु, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, ज्येष्ठा, मूल, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद।

मध्य नाड़ी: भरणी, मृगशिर, पुष्य, पूर्वाफाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा, उत्तराभाद्रपद।

अंत्य नाड़ी: कृतिका, रोहिणी, आश्लेषा, मघा, स्वाति, विशाखा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण और रेवती।

ब्राह्मण राशि पर प्रभावी!
ज्योतिष शास्त्र में समस्त राशियों को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्ण (जाति) में विभाजित किया गया है। मेष, सिंह, धनु क्षत्रिय वर्ण, वृष, कन्या, मकर वैश्य वर्ण, मिथुन, तुला, कुंभ शूद्र वर्ण और कर्क, वृश्चिक, मीन राशियां ब्राह्मण जाति की हैं। अत: स्पष्ट है कि किसी भी जाति में जन्मे वर वधु की जन्म राशि यदि कर्क, वृश्चिक, मीन (ब्राह्मण जाति की) है तो इन राशियों के जातकों को नाड़ी दोष अधिक प्रभावित करेगा।

#नाड़ी_दोष_निवारण

वर-कन्या दोनों की राशि एक ही हो लेकिन जन्म नक्षत्र भिन्न-भिन्न हो या दोनों का जन्म नक्षत्र एक ही हो और राशि भिन्न हो तो नाड़ी और गण दोष प्रभावशाली नहीं बनेगा। इसी प्रकार दोनों के जन्म नक्षत्र एक हो परन्तु नक्षत्र चरण भिन्न-भिन्न हो तोे नाड़ी दोष मान्य नहीं होगा, यह शास्त्रसम्मत है। वर-कन्या का एक ही जन्म नक्षत्र हो परंतु चरण भिन्न हो तो नाड़ी दोष नहीं लगेगा। जैसे- वर ईशांत (कृतिका-द्वितीय चरण), कन्या उर्मिला (कृतिका-तृतीय) दोनों की अन्त्य नाड़ी है।

परन्तु कृतिका नक्षत्र के चरण भिन्नता के कारण नाड़ी दोष नहीं लगेगा। इसी प्रकार पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के 3 चरण, 4 चरण इन दोनों में नक्षत्र एक ही है परंतु राशि भिन्नता क्रमश: कुंभ, मीन होने के कारण नाड़ी दोष नहीं बनेगा।

वर-कन्या का एक ही जन्म नक्षत्र हो परंतु राशि भिन्न हो तो भी नाड़ी दोष नहीं लगेगा। दोनों की राशि एक ही हो परंतु नक्षत्र भिन्न हो तो नाड़ी दोष नहीं लगता। ध्यान रखें कि कन्या की जन्म राशि, जन्म नक्षत्र और चरण वर की जन्म राशि, नक्षत्र व चरण से पहले नहीं होने चाहिए, अन्यथा नाड़ी दोष परिहार होते हुए भी विवाह शुभ नहीं होगा। #पंडित_पंकज_मिश्र 
 #ज्योतिष_कोलकाता  #Kolkata_best_Astrologer .
  

शनिवार, 9 जुलाई 2022

ओम नमो भगवते वाशुदेवाय संतान गोपाल मंत्र प्रयोग।।

ओम नमो भगवते वाशुदेवाय
संतान गोपाल मंत्र प्रयोग।।
जिन परिवारों में संतान सुख न हो कुंडली में बुध और गुरू संतान प्राप्ति में बाधक हों तब पति-पत्नी दोनों को तुलसी की माला से पवित्रता के साथ 'संतान गोपाल मंत्र' का नित्य 108 बार जप करना चाहिए :-
देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
आज प्रायः कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिनको डाक्टर, वैद्य आदि द्वारा इलाज करने पर भी संतान नहीं होती है। जहां मनुष्य के सभी भौतिक प्रयास विफल हो जाते हैं वहां आध्यात्मिक उपाय करने से सफलता प्राप्त होती हैं।
जिन लोगों को संतान होने में बाधाएं आ रही हों अथवा मनोवांछित संतान की इच्छा हो, उन्हें अपने घर में #संतान_गोपाल_यंत्र को स्थापित करके संतान गोपाल मंत्र की साधना करनी चाहिए।
संतान की कामना से सहायक रात्रियां 
मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है।
१- चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है।
२- पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी।
३- छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा।
४- सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी।
५- आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है।
६- नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है।
७- दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है।
८- ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है।
९- बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है।
१०- तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है।
११- चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है।
१२- पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है।
१३- सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है। #पंडित_पंकज_मिश्र_ज्योतिष_कोलकाता।

कौन सा रत्न धारण करे ?

कौन सा रत्न धारण करे ?
पंडित पंकज मिश्र ज्योतिष  कोलकाता।
लग्न कुंडली के अनुसार लग्न भाव , पंचम भाव और नवम भाव के रत्न पहने जा सकते हैं जो ग्रह शुभ भावों के स्वामी होकर पाप प्रभाव में हो, अस्त हो या श‍त्रु क्षेत्री हो उन्हें प्रबल बनाने के लिए भी उनके रत्न पहनना प्रभाव देता है।

 जो ग्रह शुभ होने के साथ कमजोर है उन्हें रत्न द्वारा बल दिया जाता है , और जो ग्रह कुंडली में अशुभ है जैसे 3, 6, 8, 12 भाव के स्वामी ग्रहों के रत्न नहीं पहनने चाहिए। इनको शांत रखने के लिए उपाय किया जाता है । 

रत्न पहनने के लिए दशा-महादशाओं का अध्ययन भी जरूरी है। केंद्र या त्रिकोण के स्वामी की ग्रह महादशा में उस ग्रह का रत्न पहनने से अधिक लाभ मिलता है। 

आप को रत्न के अनुसार उस ग्रह के लिए निहित वार वाले दिन शुभ घड़ी में रत्न पहना जाता है। पहनने से पहले रत्न को मंत्र जाप करके रत्न को सिद्ध करें, तत्पश्चात इष्ट देव का स्मरण कर रत्न को धूप-दीप दिया तो उसे प्रसन्न मन से धारण करें। 

रत्न सबके लिए नहीं होते। वे सुंदरता की वस्तु न होकर प्राणवान ऊर्जा के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। लेकिन उनका चयन अपने लिए अपने लग्न की राशि के अनुसार करना चाहिए, अन्यथा प्रतिकूल रत्न किसी भी सीमा तक प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। 

रत्न बड़े प्रभावशाली होते हैं। यदि लग्नेश व योगकारक ग्रहों के रत्नों को अनुकूल समय में उचित रीति से जाग्रत कर धारण किया जाए तो वांछित लाभ प्राप्त किया जा सकता है। रत्न विशेष की अंगूठी निर्धारित धातु में बनवाकर धारण करने से विशेष लाभ होता है। 
जन्मकुंडली का सटीक बिचार । कुंडली मिलान रत्न बिचार के लिए पंडित पंकज मिश्र ज्योतिष कोलकाता  ।।