काल सर्प योग निवारण के उपाय।
काल सर्प योग तब बनता है जब राहु और केतु के मध्य सारे ग्रह आ जाय और ग्रहो पर राहु और केतु का पूरा प्रभाव हो तो उसे काल सर्प योग कहते हैं।
काल सर्प योग मुखयतः 12 प्रकार के होते हैं।( 1) अनन्त ( २ ) कुलिक ( 3) बासुकि ( 4 ) संखपाल ( 5) पद्म ( 6 ) महापद्म ( 7 ) तछक (8 ) कर्कोटक (9 ) संखचूड़ (10 ) घातक (11 ) बिषधर (12 ) शेषनाग। परीक्छण से विद्वानों ने 288 प्रकार के कालसर्प योग बताये हैं। बिभिन्न तरह के कालसर्प योग का प्रभाव अलग अलग पड़ता है। बिभिन्न तरह के कालसर्प योग का प्रभाव का बरणन करू तो लेख बहुत लम्बा हो जायेगा।
कालसर्प दोष के निबृति का उपाय ;- कालसर्प दोष से बचने के लिए कालसर्प दोष की पूजा करनी चाहिए। यह पूजा गंगा के किनारे ,शिव मंदिर में होना चाहिए , शिव का रुद्राभिषेक कराकर नागों को खोडशोपचार पूजा करानी चाहिये पूजा के बाद हवन बिधि भी जरुरी है। पूजा में 12 नाग की जरुरत होती है वह नाग चांदी, सोना ,ताम्बे से बना हो। हवन करने के बाद इन्हें जल में प्रवाह करना चाहिए और ब्राह्मण को दान दछिणा करके , जातक को सहबस्त्र गंगा स्नान करना चाहिए , बस्त्र को गंगा घाट पर ही छोड़ देना चाहिये और नित्य कालसर्प मन्त्र का जाप करना चाहिए ये मन्त्र है ;- एक दन्ताय विद्महे बिष दन्ताय धी माहि तन्नो शर्पः प्रचोद्यात // पंडित पंकज मिस्र कोलकाता //
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