इन दिनों ज्योतिष शास्त्र को ले कर बड़ा अनर्गल प्रलाप हो रहा है। ज्योतिष बिज्ञान नहीं महा बिज्ञान है ,जहा से बिज्ञान की सीमा समाप्त होती है ,वही से ज्योतिष बिज्ञान सुरु होता है , लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने कहा था की वेद 95000 ,हजार साल पुराना है। वेद में सूर्य चन्द्र ग्रह नछत्र का बिस्तार से बरनन है। ज्योतिष को वेद का नेत्र ( आँख ) कहा गया है। ज्योतिष महाबिज्ञान किसी भी व्यक्ति ,राष्ट्र ,संस्थान ,मौसम ,भूकम्प आदि का पूर्वानुमान ,भविष्य में होने बा
ली घटनाओं का ,बहुत पहले हमे जानकारी मिल जाती है। किसी भी व्यक्ति के जीवन की सम्पूर्ण घटनाओ का पता पहले ही चल जाता है की ,कब क्या होगा तारीख सहित। हम आने वाले समय का सही ढंग से सदुपयोग कर पाये गे। बुरे समय में पहले से सतर्क रहेंगे ,तो कस्ट परेशानि से भी बचे रहेंगे। ज्योतिष में शोध परमावस्यक है। ज्योतिष का ये दुर्भाग्य है की कुछ तथा कथित ज्योतिष ,ज्योतिष के नाम पर लोगो को ठगते है जिशके कारण ज्योतिष बदनाम हो रहा है। .... सूर्यः सौर्यमथेन्द्र रुच्च पदवी सन्मगलंमंगलः ,सद्बुद्धिंग च बुधो गुरुश्च गुरुताम् सणो सुखम् सँ सनिह। राहु बहु बलम करोतु बिपुलम् केतुः कुलस्योनाती। .... सर्वेः प्रिति करा भवन्तु पङ्कजम् सर्वेः प्रसन्न ग्रहा। पंडित पंकज मिश्र ,कोलकाता। ज्योतिष का ये प्रमाण है पूर्णिमा के दिन समुद्र में ज्वार भाटा आता है। ऋतुवै बदलती है। जिसे बैज्ञानिक आज मशीन के द्वारा परिछन कर बता रहा है ,हमारे ऋषि मुनि हजारो साल पहले अपने सुक्छ्म प्रग्या से आबिष्कार कर चुके थे। ग्रहो के गणना के लिए अंक गणित के एक से ले कर नौ तक जो अंक है ,!१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ! ये भारतीय ज्योतिष की देंन है , जिसे सारे दुनिया ने अपनाया और डिजिट नाम दिया बिना डिजिट का कुछ भी नहीं चलेगा कॉम्प्युटर से लेकर प्लेन तक। बाद में आर्यभट्ट नाम का भारतीय बैज्ञानिक ,,,जीरो माने शून्य का अबिष्कार कर , गणना को बहुत आसान बना दिया ,जिसे सारा दुनिया ने अपनाया। इसीलिए भारत को बिस्व गुरु कहा गया है ,ऐसे बहुत सारे प्रमाण है। नासमझ लोग ,जिन्हे ज्योतिष के बारे में कुछ पता नहीं ,अनर्गल प्रलाप करते देखाजाता है।
ली घटनाओं का ,बहुत पहले हमे जानकारी मिल जाती है। किसी भी व्यक्ति के जीवन की सम्पूर्ण घटनाओ का पता पहले ही चल जाता है की ,कब क्या होगा तारीख सहित। हम आने वाले समय का सही ढंग से सदुपयोग कर पाये गे। बुरे समय में पहले से सतर्क रहेंगे ,तो कस्ट परेशानि से भी बचे रहेंगे। ज्योतिष में शोध परमावस्यक है। ज्योतिष का ये दुर्भाग्य है की कुछ तथा कथित ज्योतिष ,ज्योतिष के नाम पर लोगो को ठगते है जिशके कारण ज्योतिष बदनाम हो रहा है। .... सूर्यः सौर्यमथेन्द्र रुच्च पदवी सन्मगलंमंगलः ,सद्बुद्धिंग च बुधो गुरुश्च गुरुताम् सणो सुखम् सँ सनिह। राहु बहु बलम करोतु बिपुलम् केतुः कुलस्योनाती। .... सर्वेः प्रिति करा भवन्तु पङ्कजम् सर्वेः प्रसन्न ग्रहा। पंडित पंकज मिश्र ,कोलकाता। ज्योतिष का ये प्रमाण है पूर्णिमा के दिन समुद्र में ज्वार भाटा आता है। ऋतुवै बदलती है। जिसे बैज्ञानिक आज मशीन के द्वारा परिछन कर बता रहा है ,हमारे ऋषि मुनि हजारो साल पहले अपने सुक्छ्म प्रग्या से आबिष्कार कर चुके थे। ग्रहो के गणना के लिए अंक गणित के एक से ले कर नौ तक जो अंक है ,!१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ! ये भारतीय ज्योतिष की देंन है , जिसे सारे दुनिया ने अपनाया और डिजिट नाम दिया बिना डिजिट का कुछ भी नहीं चलेगा कॉम्प्युटर से लेकर प्लेन तक। बाद में आर्यभट्ट नाम का भारतीय बैज्ञानिक ,,,जीरो माने शून्य का अबिष्कार कर , गणना को बहुत आसान बना दिया ,जिसे सारा दुनिया ने अपनाया। इसीलिए भारत को बिस्व गुरु कहा गया है ,ऐसे बहुत सारे प्रमाण है। नासमझ लोग ,जिन्हे ज्योतिष के बारे में कुछ पता नहीं ,अनर्गल प्रलाप करते देखाजाता है।
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