आँचल में दाग ।। भारत माता की कुण्डली . #Bharat_Mata _ki #kundali . By #pandit_pankaj_mishra #Astrologer_kolkata .
आँचल में दाग। भारत माता कि कुंडली। ऊतरै यत् समुद्रस्य ,हिमाद्रस्चैब दछिनाम। बर्ष तद हि भारतम नाम भारतीय यत्र सन्तति । हिन्द महासागर के उतर में तथा हिमालय के दछिन में स्थित महँ देश भारत बर्ष के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक भारतीय को यह देश प्राणो से प्यारा है ,तभी तो सच्चा भरतीय गता है , कण कण में सोया सहिद पत्थर पथर इतिहास है ,, इस भूमि पर पग पग में उत्सर्ग और सौर्य का इतिहास अंकित है। श्री गुरूजी गोवलकर इनकी साछात जगत जननी के रूप में उपाशना करते थे। स्वामी बिबेकानन्द ने इनका जगत माता के रूप में साछात्कार किया। यह भारत माता हमारी अराध्या है। इसके सवरूप का बर्णन बणी व लेखनी द्वारा असम्भब है ,फिर भी माता के पुत्र के नाते इसके दिव्य सवरूप का संछिप्त वर्णन करने का दूसाहसः कर रहा हु। इसको बिदेशी बिधर्मी बर्बर आक्रंताओ ने ईश देश को लुटा -खसोटा और नोचा ,परन्तु फिर भी यह राष्ट्र एक अटूट इकाई के रूप में खरा रहा ,यह अमर है तो अपने धर्म संस्कृत के कारन। १५। ८। १९४७ को भारत स्वत्रंत्र हुआ। उज्जैन के प्रख्यात ज्योतिषी स्व व्यास जी के परामर्श से रत १२ ,०५ का समय निश्चित किया गया , स्वत्रन्त्रता पुष्य नछत्र में ली गयी , जिसे एक शुभ नछत्र माना जाता है , बृष लग्न में उच्च का राहु ,दुतीय में मंगल ,तृतीय सूर्य, चन्द्र ,बुध , शुक्र ,शनि एवं छठे भाव में गुरु स्थित है। जहा शुक्र के साथ पाच ग्रह कि युति है। अतः बर्ष १९८९ से शुक्र का महादशा जबसे आरम्भ हुआ साझा सरकारो का दौरा सुरु हुआ। भारत का बृष लग्न होने से लग्न का स्वामी शुक्र स्त्री करक ग्रह है ,यही कारन है कि इस देश के सत्ता के बागडोर महिला के हाथो में रहा है। दिनांक २६। ०१। १९५० को दिनमे १०। १० पर भारत गणतंत्र बना। दुर्भाग्य से देश कि स्वतंत्रता एवं गणतंत्रता कुंडली में राहु कि स्थिति लग्न में है ,जो चोरी अनाचार भ्रष्टाचार आतंकबाद एवं दुराचार अलगाववादी करक ग्रह है। भारत के कुंडली में अभी सूर्य कि महादशा चल रही है जो २१,०६,२००९ से २१,०६, २०१५ तक चलेगी ,भारत के कुंडली में सूर्य चौथा भाव का स्वामी है ,चौथा भाव जनता का है ,जनता सरकार के नितयो के बिरुद्ध बगावत कर देगी ,जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ेगा। १३,०२,२०१४ से २१,०६,२०१४ तक सूर्य में केतु कि अंतर्दशा आते ही सरकार के ऊपर बहुत बरे बड़े संकट आएगे ,सरकार चलाना बहत कठिन होगा ,गिर भी सकती है सरकार क्योंकि सहयोगी दल सरकार से अलग होने में ही अपना भलाई समझेगे ,एवं बिपछि पार्टीओ का शिकंजा और कसेगा। आतंकी घटना और प्राकृतिक आपदा से जानमाल का भारी नुकसान होगा और सत्ता परिवर्तन होगा। लग्न में राहु एवं सप्तम में केतु होने के कारण यह देश टुकड़ो टुकड़ो में बट गया ,आगे भी का और भी कई टुकड़े हो जायेगे। हमारे नेता वोट बैंक के लिए देश को टुकड़े टुकड़े कर देंगे।
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