रविवार, 31 जुलाई 2011

samay

गिरकर ही  मैंने सम्हलना सीखा, फिशलकर ही मैंने चलना सिखा ,हार कर ही मैंने जीतना सिखा ,रो कर ही मैंने हशना सिखा धोखा पा कर ही मैंने परखना सिखा ,कष्ट  सहकर ही मैंने उबरना सिखा.......
अश्रु की बूंद कभी शुल हुवा करती है ,,अश्रु की बूंद कभी फुल हुवा करती है ,भला और बुरा समय की कृपा प़र है.....आदमी  समय पर बहौत मजबूर हुवा करता  है .../ समय बहुत बलबान होया है , भीलन लुटी गोपिए वही अर्जुन वही वान ,ज्योतिष आपके जीबन के अच्छे बुरे समय का बारे में पहले से जानकारी होने से ,बुरे समय में सम्हल कर चलेंगे ,एवं अच्छे समय का भरपूर लाभ उठा पायंगे। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें