Astrology is a devine sceince life is going dey by dey you do not know what happend in future but one astrologer can tell u about your future date wise for your life time prediction . so ? if you aware about your future then life will became very esey.. i am an Astrologer i can give you astrological lpre diction to see your horoscope online if u intrested you can ask me one question online. thrugh email . stroguruji@gmail.com.free online astrology.
आँचल में दाग। भारत माता कि कुंडली। ऊतरै यत् समुद्रस्य ,हिमाद्रस्चैब दछिनाम। बर्ष तद हि भारतम नाम भारतीय यत्र सन्तति । हिन्द महासागर के उतर में तथा हिमालय के दछिन में स्थित महँ देश भारत बर्ष के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक भारतीय को यह देश प्राणो से प्यारा है ,तभी तो सच्चा भरतीय गता है , कण कण में सोया सहिद पत्थर पथर इतिहास है ,, इस भूमि पर पग पग में उत्सर्ग और सौर्य का इतिहास अंकित है। श्री गुरूजी गोवलकर इनकी साछात जगत जननी के रूप में उपाशना करते थे। स्वामी बिबेकानन्द ने इनका जगत माता के रूप में साछात्कार किया। यह भारत माता हमारी अराध्या है। इसके सवरूप का बर्णन बणी व लेखनी द्वारा असम्भब है ,फिर भी माता के पुत्र के नाते इसके दिव्य सवरूप का संछिप्त वर्णन करने का दूसाहसः कर रहा हु। इसको बिदेशी बिधर्मी बर्बर आक्रंताओ ने ईश देश को लुटा -खसोटा और नोचा ,परन्तु फिर भी यह राष्ट्र एक अटूट इकाई के रूप में खरा रहा ,यह अमर है तो अपने धर्म संस्कृत के कारन। १५। ८। १९४७ को भारत स्वत्रंत्र हुआ। उज्जैन के प्रख्यात ज्योतिषी स्व व्यास जी के परामर्श से रत १२ ,०५ का समय निश्चित किया गया , स्वत्रन्त्रता पुष्य नछत्र में ली गयी , जिसे एक शुभ नछत्र माना जाता है , बृष लग्न में उच्च का राहु ,दुतीय में मंगल ,तृतीय सूर्य, चन्द्र ,बुध , शुक्र ,शनि एवं छठे भाव में गुरु स्थित है। जहा शुक्र के साथ पाच ग्रह कि युति है। अतः बर्ष १९८९ से शुक्र का महादशा जबसे आरम्भ हुआ साझा सरकारो का दौरा सुरु हुआ। भारत का बृष लग्न होने से लग्न का स्वामी शुक्र स्त्री करक ग्रह है ,यही कारन है कि इस देश के सत्ता के बागडोर महिला के हाथो में रहा है। दिनांक २६। ०१। १९५० को दिनमे १०। १० पर भारत गणतंत्र बना। दुर्भाग्य से देश कि स्वतंत्रता एवं गणतंत्रता कुंडली में राहु कि स्थिति लग्न में है ,जो चोरी अनाचार भ्रष्टाचार आतंकबाद एवं दुराचार अलगाववादी करक ग्रह है। भारत के कुंडली में अभी सूर्य कि महादशा चल रही है जो २१,०६,२००९ से २१,०६, २०१५ तक चलेगी ,भारत के कुंडली में सूर्य चौथा भाव का स्वामी है ,चौथा भाव जनता का है ,जनता सरकार के नितयो के बिरुद्ध बगावत कर देगी ,जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ेगा। १३,०२,२०१४ से २१,०६,२०१४ तक सूर्य में केतु कि अंतर्दशा आते ही सरकार के ऊपर बहुत बरे बड़े संकट आएगे ,सरकार चलाना बहत कठिन होगा ,गिर भी सकती है सरकार क्योंकि सहयोगी दल सरकार से अलग होने में ही अपना भलाई समझेगे ,एवं बिपछि पार्टीओ का शिकंजा और कसेगा। आतंकी घटना और प्राकृतिक आपदा से जानमाल का भारी नुकसान होगा और सत्ता परिवर्तन होगा। लग्न में राहु एवं सप्तम में केतु होने के कारण यह देश टुकड़ो टुकड़ो में बट गया ,आगे भी का और भी कई टुकड़े हो जायेगे। हमारे नेता वोट बैंक के लिए देश को टुकड़े टुकड़े कर देंगे।
लोक सभा चुनाब सामने आ गया है ,सभी का उत्सुकता इस बात में है कि किसकी सरकार बनेगी। बीजेपी का बनबास खत्म होगा या कोंग्रेस फिर बजी मारलेगी। दिली में जिस तरह से बीजेपी कि कुर्सी केजरी&कोंग्रेस ने सरकार बनने से पहले खीच ली ,क्या यही हल लोकसभा चुनाब २०१४ में ,ठीक सर्कार बनने से पहले न हो , कहते है दूध का जला छाछ भी पुक कर पीना। बीजेपी देल्ही बिधान सभा चुनाब से सबक लेगी। क्योकि २०१४ लोकसभा चुनाब में , दिल्ली चुनाब बाला ही समीकरण सामने आयेगा। बीजेपी सबसे बरी पार्टी बनकर सामने आयगी। कोंग्रेस पिछड़ जायगी। लेकिन छेत्रियदल का भूमिका सरकार गठन में महत्व्पूर्ण होगा। तीसरे मोर्चे में , MMM ममता मुलायम मायाबती का सरकार गठन में महत्व्पूर्ण भूमिका होगा। सत्ता कि चाभी ममता बनर्जी के हाथ में होगी। । ज्योतिष सास्त्र के हिसाब से देखे तो ,भारतीय जनता पार्टी का उदय ६. ४. १९८० को दोपहर ११. ४५ बजे , मुलसंज्ञक ज्येष्ठा नछत्र ,अभिजीत मुहूर्त ,मिथुन लग्न में हुआ भाजपा कि मिथुन लग्न कि कुंडली में ,लग्न से तीसरे पराक्रम भाव में मंगल, बृहस्पति, शनी एवं राहु , छठे शत्रु भाव में चद्रमा ,नवम भाग्य भाव में बुध और केतु ,दशम कर्म भाव में सूर्य तथा बारहवे हानि करक भाव में शुक्र बैठा है। कुंडली में सौ से ज्यादा सुभासुभ योग बने है , इस में सर्भादिक प्रभाब साली एवं आकस्मिक परिणाम देने बाली च्तुर्ग्र्हि योग का पराक्रम भाव में बनना बहुत ही शुभ फलदायक है। कुंडली का सर्बोच्च शुभ योग पराक्रमेश सूर्य का दशम में बैठना और उस पर मंगल कि शुभ द्रिष्टि का होना बहुत सुबह है। अप्रेल २०१२ से अप्रैल २०१८ तक भाजपा कि सूर्य कि चल रही है। सूर्य में राहु कि अंतर्दशा ३-५-२०१३ से २८-३ -२०१४ तक ,बाधक है ,उसके बाद सूर्य महादशा में गुरु कि अंतर्दशा सुरु होगी ,और ,गोचर में सूर्य १४..४. २०१४ से अपनी ऊच्च राशि मेष में आ जायेगी ,सूर्य सत्ता का परम कारक ग्रह है ,सूर्य का दशा एवं गोचर में सूर्य का ऊच्च राशि में आना अतयंत शुभ हो गया ,अंतर्दशा गुरु २८. ३. २०१४ से सुरु हो जायगी जो सत्ता के करीब ले जाएगी थोरा बहुत जो सहयोगी दलो से मतभेद रहेजा वो १९. ०६ २०१४ से जब बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में प्रवेश करेगे तो ,बिरोधी भी भाजपा के सपोर्ट में आ जायगे। सूर्य और बृहस्पति का दशा और गोचर बहुत अनुकूल फल देगे। साथ ही शुक्र २७. ४. २०१४ से कर्म स्थान में उच्च का हो कर प्रवेश करेगा। वाह कितना सुखद संयोग ग्रहो का योग बन रहा है। सत्ता का प्रवल कारक ग्रह सूर्य एलेक्सन के समय बीजेपी कि कुंडली में पराक्रम स्थान का स्वामी होकर लाभ स्थान में उच्च का रहेगा , कर्म स्थान का स्वामी गुरु भी उच्च का रहेगा उतनाही नहीं ,कर्म स्थान में शुक्र भी उच्च का रहेगा। इस बार बीजेपी को सत्ता सुख जरुर मिलेगा ,इसमें संदेह नहीं।